2025-03-08 18:00:42
वाराणसी :- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के सदस्य सचिव डॉ.सचिदानंद जोशी ने संस्कृति और परंपरा के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि संस्कृति व्यापक है जिसका एक अंग परंपरा भी है उन्होंने कहा जब परंपरा व्यापक हो जाती है तो वह संस्कृति बन जाती है यदि संस्कृति नहीं रहेगी तो संस्कार भी नहीं बचेंगे | कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ.जोशी ने भारतीय संस्कृति की निरंतरता पर जोर दिया उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति सातत्यपूर्ण है जो धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष की ओर ले जाती है उन्होंने लोगों से आत्म-खोज करने और भारतीयता के मूल मंत्र को आत्मसात करने का आह्वान किया | विष्णु पुराण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा जो कुछ मुझे समाज और देश से मिला है उससे अधिक मैं उन्हें वापस लौटा सकूं,बस उतना ही मुझे मिलना चाहिए इस दौरान उन्होंने रमज़ान के पवित्र महीने की महत्ता को भी रेखांकित किया | ट्रेन यात्रा के दौरान मिले सहयात्री अतहर अली की कहानी साझा करते हुए उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता और भारतीय संस्कृति में विविधता के महत्व पर प्रकाश डाला | डॉ.जोशी के विचारों ने श्रोताओं को भारतीय संस्कृति के महत्व पर नए सिरे से विचार करने की प्रेरणा दी उन्होंने कहा कि संस्कृति और परंपरा का संरक्षण हमारी पहचान और अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक है